December 7, 2024
सट्टा मटका, जिसे जुआ का राजा भी कहा जाता है, भारत में एक लंबा इतिहास रखता है। इसकी शुरुआत आजादी से पहले की मानी जाती है, जब इसे पारंपरिक तरीके से खेला जाता था।
उन दिनों सट्टेबाज़ कपास के भाव पर दांव लगाते थे। न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज से टेलीप्रिंटर के ज़रिए बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज को दिन के शुरुआती और बंद भाव भेजे जाते थे। लोग इसी के आधार पर यह अनुमान लगाते थे कि भाव ऊपर जाएगा या नीचे। सट्टेबाज़ कागज के टुकड़ों पर नंबर लिखकर एक मटके में डाल देते थे। फिर एक व्यक्ति यादृच्छ रूप से एक पर्ची निकालता था और विजेता नंबर की घोषणा कर देता था। मटके के इस्तेमाल की वजह से ही इस जुए का नाम "सट्टा मटका" पड़ गया।
सट्टेबाज़ इन भावों का अनुमान लगाकर दांव लगाते थे। वे कागज के टुकड़ों पर नंबर लिखते थे और उन्हें एक मिट्टी के मटके में डाल देते थे। मटके को तब एक सार्वजनिक स्थान पर रखा जाता था, और एक यादृच्छिक व्यक्ति मटके से एक पर्ची निकालता था। इस पर्ची पर लिखा नंबर विजेता नंबर होता था।
शुरुआती दिनों में कपास: सट्टा मटका की शुरुआत कपास के भाव पर सट्टेबाजी से हुई। लोग न्यूयॉर्क से बॉम्बे भेजे जाने वाले भावों के आधार पर यह अनुमान लगाते थे कि भाव ऊपर जाएगा या नीचे.
मिट्टी का मटका: सट्टेबाज कागज के पर्चों पर नंबर लिखकर उन्हें मिट्टी के बर्तन, यानी मटके में डालते थे। यादृच्छिक रूप से निकाले गए पर्चे पर लिखा नंबर विजेता घोषित होता था. इसी मटके के इस्तेमाल से इस जुए का नाम "सट्टा मटका" पड़ा.
अलग भाषा: सट्टा मटका की अपनी एक अलग भाषा विकसित हो गई। इसमें 0 से 9 के बीच की संख्याओं को "सिंगल" और 00 से 99 के बीच की दो संख्याओं को "जोड़ी" के नाम से जाना जाता है।
धीरे-धीरे सट्टा मटका का तरीका बदलता गया। कल्याणजी भगत और रतन खत्री जैसे लोग इस खेल से जुड़े हुए प्रसिद्ध नाम हैं। खत्री का मटका सोमवार से शुक्रवार तक चलता था, जबकि भगत का मटका हफ्ते के सातों दिन खेला जाता था। सट्टा मटका की अपनी अलग भाषा भी विकसित हो गई, जिसमें 0 से 9 के बीच की संख्याओं को "सिंगल" और 00 से 99 के बीच की दो संख्याओं को "जोड़ी" कहा जाता है।
नए खेल: कपास के भावों के अलावा, सट्टेबाजों ने ताश के पत्तों, रत्नों और यहां तक कि बॉलीवुड फिल्मों के नामों पर भी दांव लगाना शुरू कर दिया।
प्रसिद्ध हस्तियां: कल्याणजी भगत और रतन खत्री जैसे लोग सट्टा मटका से जुड़े प्रसिद्ध नाम बन गए। इनके नाम के साथ ही इस खेल का काफी प्रसार हुआ।
ऑनलाइन युग: आज के दौर में सट्टा मटका पूरी तरह से ऑनलाइन हो गया है। अब आप कई वेबसाइटों और ऐप्स के माध्यम से इसे खेल सकते हैं।
आज के दौर में टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव के साथ सट्टा मटका भी ऑनलाइन हो गया है। अब कई वेबसाइट और ऐप्स हैं जहां पर आप सट्टा मटका खेल सकते हैं। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि भारत में सट्टा मटका समेत जुए के सभी रूप अवैध हैं।